सरहद जमीन पर बनाई जा सकती है, रिश्ते में सरहद बनाने का अर्थ है, संबंधों का हमेशा के लिए मर जाना, आत्म का ठिठुर जाना, ' मेरे जीवन से तुम्हारा जाना ' कविता में मैंने सरहद से तुलना कर के संबंध का महत्व बताने की कोशिश किया हूं, कि कैसे दोनों के लिए जरूरी है साथ रहना..? मेरे जीवन से तुम्हारा जाना, नया सरहद बनाना है। जैसे बटा था भारत, वैसे ही आत्म को बट जाना है। मेरे जीवन से तुम्हारा जाना, नया सरहद बनाना है। जैसे अलग हो गए दोस्त, अलग हो गए बुजुर्ग,बच्चे,बेटियां। जैसे विभक्त हुए नियम, विभक्त हुए नदी,पानी,रोटियां। जैसे अलग हुआ संस्कृति, अलग हुआ रीति,रिवाज,नीतियां। अब दुश्मन हुए दोनों देश, आपस में ही चल रही गोलियां। अगर तुम जाओगी तो एक दिन हम दोनों का, सब अलग हो जाएगा। खुले आकाश में उड़ रहा जो आत्म का एक पंछी, सरहद पर धर लिया जाएगा। तुमने बस प्यार करना सीखा, नही जाना कि प्यार को कैसे निभाना है..? मेरे जीवन से तुम्हारा जाना, नया सरहद बनाना है। जैसे बटा था भारत, वैसे ही आत्म को बट जाना है। जैसे अलग हो गए दिन, अलग हो गए सावन,माघ,बसंत। जैसे विभक्त हुए दिशाएं, विभक्त हुए खोरी-कूचा, पंथ। जैसे अलग हुआ ध्वज, अलग हुआ ज्ञान,सोच,ग्रंथ। जब से बना सरहद, तब से सरहद ही है, अब निश्चित नही, कब होगा इसका अंत..? इसका एक ही उपाय है कि हमेसा हम दोनों, मिलकर एक रहें। साथ चले, साथ रुके,बने एक दूसरे की जरूरत, जीवन भर टेक रहें। यदि यह ना होगा तो प्यार से, यादों से द्वंद होगा। फिर जीवन को ऐसे ही अनबन में गुजर जाना है। मेरे जीवन से तुम्हारा जाना, नया सरहद बनाना है। जैसे बटा था भारत, वैसे ही आत्म को बट जाना है। Rahul Rupban