हारा नही हूं मैं
जिंदगी ने भगाया बहुत है हमें,
जिंदगी ने सताया बहुत है हमें,
लड़खड़ाया हूं मैं, गिरा हूं मैं,
फिर भी गिर के भी खड़ा हुआ हूं मैं।
बस हारा नही हूं मैं।
मालूम है अभी भी काबिल नही हुआ हूं मैं,
मालूम है अभी भी जिंदगी से लड़ रहा हूं मैं ,
अपनी ही परछाई से हर वक्त लड़ा हूं मैं।
बस अभी हारा नही हूं मैं।
हर वक्त अपनों की बातों को सुना हूं मैं,
हर वक्त जिंदगी से लड़ा हूं मैं।
मालूम हैं मुझे की तुझे बहुत सताया हूं मैं।
गिरा हूं , लड़खाया हूं , चोट खाया हूं मैं ,
उठा हूं फिर , दौड़ा हूं मैं।
पर अभी हारा नही हूं मैं।
अपनों से अभी भी बहुत दूर हूं मैं ,
जिंदगी में अभी कुछ कमाया नही हूं मैं ,
बस रिश्तों को ही कमाया हूं मैं ,
उन्ही रिश्तों को निभाया हूं मैं ,
उन्ही रिश्तों में बहुत कुछ सुना भी हूं मैं।
बस अभी भी हरा नहीं हूं मै।
जिंदगी ने भगाया बहुत है हमें,
जिंदगी ने सताया बहुत है हमें,
बस हारा नही हूं मैं।
बस हारा नही हूं मैं।
निखिल श्रीवास्तव