किसी को मुकम्मल जहाँ, कहाँ मिलता,
वक्त बेवक्त खुदा यहाँ, कहाँ मिलता
है तुम्हें जैसी वफ़ा-ए-यारी की तलाश,
अब आफताब यार यहाँ, कहाँ मिलता?
कहा था जिन्होंने, है मिलती उन्हें वैसी क़राबत
ढूंढो ज़रा,आज वो यार कहाँ मिलता।
था गुरूर जो मन में उन का, 'मुश्ताक'
मिलता अब जब भी, वो उनसा कहाँ मिलता?
Rajeev Kumar
Monday March 27, 2023Good poem